Tuesday, November 29, 2011

गोआ फिल्‍म समारोह: पहला दिन

अब तक एक पर्यटक के रूप में गोआ आना होता रहा था, लेकिन इस बार गोआ फिल्‍म समारोह के तामझाम का हिस्‍सा बनने का मौक़ा मिला, तो ज़ाहिर है कि मन बाग़ बाग़ हो गया।  सत्‍ताईस की रात मैंगलोर एक्‍सप्रेस में सफ़र करते हुए एक ख्‍याल ये आया कि कभी इस ट्रेन के आखिरी स्‍टेशन पर भी जाने का मौक़ा मिले तो मज़ा आ जाए।

गोआ आने पर एक बात बड़ी संगीन है। अगर आपको जानकारी ना हो तो आराम से बतौर टूरिस्‍ट आपसे हर काम के ज्‍यादा पैसे वसूल लिये जाते हैं। पर हम तो गोआ को अच्‍छी तरह जानते हैं। इसलिए इस बार हमारे जेब पर डाके का सवाल नहीं उठता था। आकाशवाणी पणजी के बारे में रेडियोनामा पर शुभ्रा जी के संस्‍मरणों से काफी कुछ जाना था। गोआ आते हुए कभी पणजी रेडियो स्टेशन कर रूख इसलिए नहीं किया कि यहां भी दफ्तर की सूरत क्‍यों देखी जाए।

गेस्‍ट-हाउस में सामान रखने के बाद हम पंद्रह मिनिट के भीतर समारोह जाने को तैयार थे। फिल्‍म देखना सचमुच एक उत्‍सव होता है। बचपन से रहा है। जब पापा या मामा या चाचा किसी के भी साथ हम फिल्‍म जाने के लिए उत्‍साह से तैयार हो जाते थे। चूंकि 28 नवंबर का आधा दिन तो बीत ही गया था। इसलिए जाते ही अपनी किट वगैरह लेकर जो फिल्‍म तुरंत दिखाई जाने वाली थी--उसमें घुस गए। वो थी इलाहाबादी तिग्‍मांशु धूलिया की 'शागिर्द'। यहां आने से पहले तिग्‍मांशु से फोन पर इंटरव्‍यू किया था, फिल्‍म समारोह के मुद्दे पर। वहां उन्‍होंने साफ तौर पर कहा था कि ये कोई बौद्धिक क्रांति वाली फिल्‍म नहीं है। बाक़ायदा बॉलीवुड की मसाला फिल्‍म है। जिसे देखकर आपको मजा आयेगा। और वाकई वो मज़ा आया भी।

तिग्‍मांशु टिपिकल बॉलीवुड ढांचे से अलग सोचते हैं। ये फिल्‍म एक पुलिस अधिकारी की कहानी है जो अपने तरीके से सोचता है। उसका काम करने का अपना ढंग है, क्राइम ब्रांच में है तो गोलियों के ज़रिये ही बात करता है। रिश्‍वत लेने और राजनीतिक गोटियां खेलने में उसे कोई परहेज़ नहीं है। उसका शागिर्द बनता है एक नया पुलिस अधिकारी मोहित अहलावत। कुल मिलाकर भयानक मारा-मारी वाली ये फिल्‍म आपको आखिर तक बांधे रखती है। नाना पाटेकर अपने खास मै‍नेरिज्‍म के साथ हैं, पर शुक्र है कि यहां उन्‍हें चिल्‍लाने से रोके रखा गया है। नाना के कैरेक्‍टर की एक बात बड़ी खास रखी गयी है। उन्‍हें पुराने गानों का शौक है। और जहां भी गाना बजता हुआ सुनाई पड़ता है, वो उसका पूरा ब्‍यौरा देते हैं। गीतकार, संगीतकार, गायक, सन और कलाकार।

नाना एक एनकाउंटर कर रहे हैं, दो गुंडे पुरानी दिल्‍ली के एक मकान की ऊपरी मंजिल की कोठरी में छिप जाते हैं। नाना नीचे चाय की दुकान पर अपने साथियों के साथ मौजूद हैं। टीवी पर गाना बज रहा है। नाना कहते हैं, 'अनाड़ी' सन फलाना, हसरत जयपुरी, शैलेंद्र और शंकर जयकिशन। इसी तरह पत्रकारों को आतंकवादियों ने पकड़ लिया है। और उनका वीडियो भेजा है। जिसमें रेडियो पर गाना बजता सुनाई पड़ रहा है। नाना फौरन हाइ-लेवल पुलिस मीटिंग में होते हुए भी उस गाने का पूरा ब्‍यौरा देते हैं। ऐसे कई मौक़े रखे गए हैं फिल्‍म में। हम रेडियोवाले हैं ना, इसलिए ये पहलू अच्‍छा लगा। 'शागिर्द' बिना गानों वाली फिल्‍म है। और काफी कसी हुई।

पहला दिन इसलिए अस्‍त व्‍यस्‍त रहा क्‍योंकि एक तो आधा दिन मिला। ऊपर से तीन भीमकाय कैटलॉग। जिन्‍हें पढ़ने की मोहलत नहीं थी। शागिर्द के बाद फिलिप नॉयस की फिल्‍म clear and present danger देखी। हैरिसन फोर्ड और विलियम डफो जैसे नामचीन सितारों वाली ये फिल्‍म फिलिप नॉयस पर चल रहे 'पुनरावलोकन' खंड का हिस्‍सा है। पूरी कहानी क्‍या लिखूं। आप फिल्‍म के लिंक पर जाकर पढ़ ही सकते हैं। ठेठ अमेरिकन फिल्‍म है ये। 141 मिनिट की बेहद लंबी फिल्‍म। दरअसल फिल्‍म समारोह में ऐसी कमर्शियल और अमेरिका का महिमा-मंडन करने वाली फिल्‍म पचती नहीं है। हैरिसन फोर्ड की कमाल की एक्टिंग के बावजूद मुझे यही लगा कि इस फिल्‍म को टीवी पर तो फिर भी देखा जा सकता था। यहां नहीं।

आखिरी फिल्‍म देखी रूस की 'द हंटर'। 2001 में रूव में बनी इस फिल्‍म का कथानक काफी प्रॉमिसिंग लग रहा था। पर इतनी धीमी और उबाऊ पेशकश कि हॉल में बैठे अडूर गोपालकृष्‍ण भी काफी सब्र करने के बाद बाहर निकल गये। बेहद निराशाजनक फिल्‍म। निर्देशक bakur bakuradze. 

कुल मिलाकर फिल्‍म समारोह का हमारा पहला दिन मिला-जुला ही रहा। हां इस दौरान फिल्‍म्‍स डिविजन का स्‍टॉल दिलचस्‍प लगा। जहां से कुछ मशहूर डॉक्‍यूमेन्‍ट्री खरीदी जायेंगी। कुछ क्‍लासिक्‍स भी एक स्टॉल पर बिकती नज़र आईं।

कुछ तस्‍वीरें।
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3 टिप्‍पणियां :

Unknown said...

Shagird ki review achha laga... agli post ke intjar me..
akhilendra.

arvind p.saineker said...

Goa me aapkaa pahala din.... padhkar bahut achhaa laga.Agar aapse mulakaat hone ka mauka mila to mai apane aapko bada bhagyashali samajh loongaa...
My Contant Nos..
0832-2363231
9422438831
Arvind P.Sainekar
Goa.

"डाक साब" said...

तो आख़िरकार गोआ के समुद्र-तट का इन्तज़ार था आपके मन को - साल भर बाद फिर से तरंगें उठने के लिये !

हम तो "जे" समझे बैठे थे कि अब अगली पोस्ट ३१ दिसम्बर,२०११ को ही आयेगी ।

देर आयद,दुरुस्त आयद !!

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