luc besson की फिल्म the lady.
कल मैंने लुक बेसों की फिल्म 'द लेडी' का जिक्र करके छोड़ दिया था। दरअसल ये गोआ फिल्म समारोह की सबसे प्रभावी फिल्मों में से एक है। luc besson फ्रांस के नई पीढ़ी के महत्वपूर्ण फिल्मकारों में गिने जाते हैं। इससे पहले उन्होंने “la femme nikita”, “the professional”, 'ängel-a' जैसी फिल्में बनाई हैं। 42वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह की समापन फिल्म थी 'द लेडी'। समापन समारोह के बाद फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर फिल्म के निर्देशक लुक बेसों और अभिनेत्री मिशेल योह मौजूद थे। वैसे मीडिया के लिए फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग दो दिन पहले ही कर दी गयी थी।
“the lady” असल में बर्मा में लोकतंत्र के लिए लड़ रही आंग सांग सू ची के जीवन पर आधारित है। बताया गया है कि लेखिका rebecca frayn ने तीन साल तक सू ची के नजदीकी लोगों और सहयोगियों से बातचीत की, शोध किया और तब जाकर सच्ची घटनाओं को पटकथा में पिरोया। बहुत कम लोग जानते होंगे कि आंग सांग सू ची ने 1972 में एक शिक्षाविद् michael aris से शादी की थी। कॉलेज के ज़माने में दोनों की मुलाक़ात हुई थी। एक साल तक दोनों भूटान में रहे और फिर ऑक्सफोर्ड आ गये। जहां एरिस ने यूनिवर्सिटी में तिब्बती अध्ययन संस्थान की स्थापना की। 1988 में आंग सांग सू ची अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए बर्मा लौटीं। और वहां जिंदगी ने उन्हें बर्मा में लोकतंत्र के लिए संघर्ष से जोड़ दिया। इसके बाद वो कभी वापस ऑक्सफोर्ड नहीं लौटीं। माइकल एरिस अपने दो बेटों के साथ बर्मा आते रहे। पर सू ची और एरिस कभी ठीक तरह से साथ नहीं रह सके। एरिस ने हमेशा आंग सांग सू ची को ताक़त दी। हमेशा फौजी सरकार के जुल्मों और अडियल रवैये से होने वाली निराशा से उबारा। यही नहीं एरिस की कोशिशों के कारण सू ची को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1997 में उन्हें प्रोस्टेट कैंसर हो गया। पर बर्मा की सरकार ने उन्हें वहां आने की इजाजत नहीं दी। अंतर्राष्ट्रीय दबावों का भी कोई असर नहीं हुआ। आखिरकार सू ची सू दूर एरिस अपने दो बेटों की मौजूदगी में ऑक्सफोर्ड में चल बसे।
'द लेडी' में बर्मा के फौजी शासन की बेरहमी और सू ची की गांधीवादी लड़ाई को दिखाया गया है। 145 मिनिट की लंबी फिल्म होने के बावजूद कभी ऐसा नहीं होता कि आपकी नज़र स्क्रीन से हटे। लुक बेसों ने कई मार्मिक क्षण रचे हैं। जैसे सू ची को नोबेल पुरस्कार दिया जाना है, जिसे उनके बेटे और पति स्वीकार करते हैं। सू ची बर्मा इसलिए नहीं छोड़ सकतीं क्योंकि इसके बाद फौजी सरकार उन्हें दोबारा आने नहीं देगी। उन्हें लंबे समय से नजरबंद रखा गया है। बीबीसी पर वो पुरस्कार समारोह की कमेन्ट्री सुन रही हैं। फौजी घर की लाइट काट देते हैं। हड़बड़कर नौकरानी किसी तरह एक ट्रांसिस्टर खोजती है। पर उसमें बैटरियां नहीं हैं। टॉर्च से बैटरी निकालकर रेडियो चालू किया जाता है और अपनी मां की ओर से स्वीकृति भाषण दे रहे बेटे की आवाज़ सू ची को सुनाई देती है। आंखों से आंसुओं की धारा बह रही है। हॉल में ऑकेस्ट्रा सू ची की पसंदीदा धुन बजा रहा है और बर्मा में नजरबंद सू ची पियानो पर धुन बजा रही हैं।
इसी तरह जब एरिस को कैंसर हो जाता है तो सू ची फोन पर बातचीत में ऑक्सफोर्ड लौटने की पेशकश करती हैं। एरिस ये कहते हुए मना कर देते हैं कि हमने अपने निजी जीवन से ज्यादा तरजीह बर्मा को दी है। और कई सालों की मेहनत को तुम इस तरह ज़ाया नहीं कर सकतीं। फोन करने के लिए सू ची को ब्रिटिश एम्बेसी आना पड़ता है। जब भी उनकी नजरबंदी खत्म होती है तभी वो फोन कर पाती हैं। बेटों को शिकायत है कि मां उनके साथ क्यों नहीं रहतीं।
फिल्म बर्मा में शूट नहीं की जा सकती थी। इसलिए थाइलैंड में काफी सीक्रेट तरी़क़े से इसे शूट किया गया। आप देखेंगे कि मलेशिया की मशहूर अभिनेत्री michelle yeoh बिल्कुल आंग सांग सू ची की तरह लगती हैं। यहां तक कि उनके पति की भूमिका निभाने वाले david thewlis की शकल भी बिल्कुल माइकल एरिस से मिलती जुलती है। 'द लेडी' इससे पहले बुसान और टोरेन्टो फिल्म समारोहों में दिखाई जा चुकी है। कहा ये जा रहा है कि इस साल ऑस्कर में ये फिल्म अपने जलवे दिखा सकती है।
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