Wednesday, March 12, 2008

गागर में सागर--सागर नाहर से मुंबई में ब्‍लॉगर मीट ।

इस रविवार को एक छोटी-सी ब्‍लॉगर मीट हो गयी । तकनीकी दस्‍तक और गीतों की महफिल जैसे लोकप्रिय ब्‍लॉगों को चलाने वाले सागर चंद नाहर हैदराबाद से सूरत होते हुए अचानक केवल एक दिन के लिए मुंबई आए और अपन ने उन्‍हें बिना मिले जाने नहीं दिया । सागर से कुछ घंटों की दिलचस्‍प मुलाक़ात हुई । सागर नाहर से चैट पर और टेलीफोन पर संपर्क बना रहता है । सागर की शख्सियत की कई पहलू हैं जो दिलचस्‍प हैं । फिल्‍मी गानों के अपार संग्रह का शौक़ हो या दूसरों की मदद करने को हमेशा तत्‍पर रहने का जुनून । या फिर ब्‍लॉगिंग और कंप्‍यूटिंग से जुड़े तकनीकी पहलुओं के बारे में चुपचाप रिसर्च करते रहने और नई चीज़ों को खोज-खाजकर सबके लिए प्रस्‍तुत करने का शौक़ । सागर सचमुच गागर में सागर हैं ।

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अब आप सोच रहे होंगे कि गागर कैसे । तो इसका जवाब ये है कि आमतौर पर हमने ब्‍लॉग पर सागर की पासपोर्ट साइज़ तस्‍वीर ही देखी है । असल में भी सागर दुबले पतले हैं । लेकिन सागर की सबसे बड़ी ख़ासियत है उनका ख़ामोशा रहना । वो बहुत कम बोलते हैं । कई बार तो इतना कम बोलते हैं कि असुविधा होने लगती है । ख़ामोश रहकर काम करने की उनकी अदा कमाल की है । आज तक शायद आपको अंदाज़ा भी ना होगा-- पर इस बात को आप सबके सामने रखना ज़रूरी है रेडियोनामा की डिज़ायनिंग और उसे संभालने संवारने का काम सागर ही परदे की पीछे से करते रहे हैं  । रेडियोनामा पर सबसे कम पोस्‍टें सागर की होंगी । मुझे याद नहीं पर शायद एकाध पोस्‍ट हो भी । लेकिन कोई दिन ऐसा नहीं होता जब सागर रेडियोनामा पर ना आएं । अगर किसी पोस्‍ट में टाईपिंग की, तकनीक की या भाषा की ग़लती नज़र आई तो सागर फौरन उसे ठीक कर देते हैं । यही नहीं अगर रेडियोनामा के किसी सदस्‍य ने या रेडियोनामा से जुड़ने के इच्‍छुक किसी व्‍यक्ति ने पत्र व्‍यवहार किया, मदद मांगी तो सबसे पहले सागर हाजि़र होते हैं । मुंबई में जब मेरे घर आये सागर तो दुनिया भर की बातें हुईं । थोड़ी ब्‍लॉगिंग की बातें भी हुईं । निजी बातें भी हुईं । उन्‍होंने बताया कि जल्‍दी ही उन्‍हें ब्‍लॉगिंग करते हुए दो साल पूरे होने जा रहे हैं । मज़ेदार बात ये है कि इस पोस्‍ट के आने से पहले ही ये अवसर आ भी चुका है । ये पोस्‍ट देखिए

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बहरहाल बात चल रही थी सागर के व्‍यक्तित्‍व की । मुझ जैसे कई ब्‍लॉगर ऐसे हैं जिन्‍होंने तकनीकी समस्‍याओं के दौरान किसी ना किसी की ओर मदद के लिए देखा है । कभी रवि रतलामी, कभी श्रीश ( जो कहीं ग़ायब हैं) कभी ब्‍लॉग बुद्धि वाले विकास ने मदद करके नैया पार लगाई है । और हमें तकनीकी तौर पर थोड़ा बहुत काबिल बनाया है । सागर नाहर का शुमार भी इसी समूह में होता है । किसी भी वक्‍त उनसे संपर्क किया जाये वे तत्‍पर मिलेंगे । दिलचस्‍प बात ये है कि पुराने गानों का ज़बर्दस्‍त शौक़ है सागर को । और संग्रह भी कमाल का है । उन्‍हें अफ़सोस रहता है कि 'गीतों की महफिल' की कुछ बेमिसाल गानों वाली पोस्‍टों पर उतनी टिप्‍पणियां नहीं आईं, जितनी आनी चाहिए । लेकिन सागर गाने की जो ज़बर्दस्‍त रिसर्च कर रहे हैं वो कमाल की है । ऐसे व्‍यक्ति से मिलना बड़ा ही दिलचस्‍प रहा । ये नहीं लगा कि ये हमारी पहली मुलाक़ात है । जाते जाते सागर मुझे कुछ अनमोल गाने भी दे गये । जिन्‍हें सुनने में अभी कई दिन लग जायेंगे । ब्‍लॉगिंग की दुनिया कितनी कमाल की है,  कितनी ही दिलचस्‍प शख्सियतें मिलती हैं और फिर हमारे दायरे में शामिल हो जाती हैं । सागर नाहर को उनकी एक नई शुरूआत के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं ।

और हां जैसलमेर यात्रा वाली श्रृंखला तरंग पर जारी रहेगी ।

14 टिप्‍पणियां :

अनिल रघुराज said...

सागर भाई से मिलने की बड़ी इच्छा थी। वो मुंबई आए, लेकिन मिल नहीं सका, इसका अफसोस रहेगा। चलिए इस बार नहीं तो कभी और सही।

Anita kumar said...

युनुस जी एक बार फ़िर हमें अपने नवी मुम्बई रहने का अफ़्सोस हुआ, वर्ना सागर जी को मिले बिना जाने न देते। आप ने सच कहा सागर जी सच में गागर में सागर हैं , रेडियोनामा की तरह मेरे ब्लोग को सजाने सवांरने का काम भी उन्होंने सहर्ष संभाल लिया है और उनके हाथ लगते ही वो ऐसा संवरा है कि लोग पूछ रहे हैं कैसे बनाया…हम चुपचाप वो मेल सागर जी की तरफ़ खिसका देते हैं। कई दुर्लभ गाने सागर जी ने हमें यहीं बैठे सुनवाये हैं। हम चैट पर डिमान्ड कर देते हैं और वो ढूंढ कर पेश कर देते है, उनका माइक्रोफ़ोन भी इतना कमाल का है कि गाने के साथ साथ रोड का ट्रेफ़िक तक सुनाई देता है…:)और हमारे जैसे तकनीकी के मारों के साथ पेशेंस तो इतनी है न कि मुझे लगता है अच्छा टीचर बनने के लिए मुझे अभी भी उनसे बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। May God Bless Him

Udan Tashtari said...

सागर भाई से आपकी मिलन कथा का विवरण बड़ा रोचक रहा. आभार, हम सबके साथ बांटने का. होली पर जबलपुर आना हो रहा है क्या?

आनंद said...

सचमुच सागर जी जिस लगन से नई-नई रोचक जानकारियाँ जुटाते हैं और बाँटने में तत्‍पर रहते हैं, यह निस्‍संदेह प्रशंसनीय है। नए ब्‍लॉगरों को प्रोत्‍साहित करने में भी इनका कोई जवाब नहीं। उनके ब्‍लॉग के दो वर्ष पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई।

VIMAL VERMA said...

बताइये सागर जी हमारे बगल में आकर निकल लिये और आपने खबर तक नहीं की..ये कहाँ का इंसाफ़ है?जाइये आपसे कुट्टी..सागर भाई आपसे नहीं मिलने का अफ़सोस बना रहेगा..समझिये यूनुस मियाँ के बाजू में रहता हूँ... चलिये मैं यूनुस जी से निपट लुंगा....

Pramendra Pratap Singh said...

सागर भाई दिल के बहुत अच्‍चे व्‍यक्ति है, मैने उन्‍हे दूर रह कर काफी नजदीक से जाना है।

आपकी पोस्‍ट और मीट दोनो अच्‍छी लगी बधाई।

सागर नाहर said...

@ अनिल जी
मुझे खुद आप से,अनिताजी, विमलजी से हर्षवर्धनजी, अभयजी आदि दोस्तों से मिलने की बड़ी इच्छा थी पर संयोग नहीं बन पाया, अगली बार मुंबई आना हुआ तो आपसे मिले बिना नहीं जायेंगे :)

@अनिताजी
वाशी में रहने का सुख तो नसीबों वालों को मिलता है :) आप अफसोस ना करें, आपसे भी जल्दी ही मिलना होगा, जल्दी से बढ़िया शाकाहारी डिश बनाना शुरु कर दीजियेगा :)

सागर नाहर said...

@ समीरलाल जी, प्रेमेन्द्रजी और आनंद जी
आप का बहुत बहुत धन्यवाद

@ विमल भाई सा.
मैने उपर अनिल जी को भी कहा है जिन मित्रों से एक बार मिलने की बड़ी इच्छा है आप भी उनमें से एक हैं, पर मजबूरी थी कि आप सभी से नहीं मिल पाया।
भगवान ने चाहा तो जल्द ही मिलना होगा आप सबसे।

सागर नाहर said...

हां तो यूनूस भाई अब आप..
कुछ ज्यादा तारीफ नहीं करदी आपने :)

संजय बेंगाणी said...

सागर को शांत रूप में देखना हो तो नाहरजी को देख लें.

Yunus Khan said...

@ अनिल भाई और विमल भाई दिक्‍कत ये हो गयी कि सागर के पास केवल एकाध घंटे का वक्‍त था, वरना महफिल जमाई जाती ।
@ अनीता जी नवी मुंबई में रहना संकट नहीं सौभाग्‍य है । सागर फिर आयेंगे और म‍हफिल जमाएंगे । @ समीर भाई होली तो इतईं मुंबई में होगी @ और सागर भाई आप हैं ही तारीफ़ के क़ाबिल । ज्‍यादा नहीं थी तारीफ़

Unknown said...

यूनुस भाई, एकदम सही कहा आपने, सागर भाई वाकई कम बोलते हैं, मैं खुशनसीब हूँ जो उनसे हैदराबाद में मिल पाया, एकदम मिलनसार और मदद के लिये तत्पर… अबकी बार गर्मियों में मुम्बई आना होगा तो शायद आपके भी दीदार का सौभाग्य मिले…

L.Goswami said...

मिलने की इच्छा ही है इनसे ..पूरी कब हो पता नही ..आप खुसनसीब हैं.

Archana Chaoji said...

""सागर को शांत रूप में देखना हो तो नाहरजी को देख लें.""कुछ गम्भीरता हमने भी सुनी /पढी है बस देखना बाकी है ....

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