मन मोरा बावरा- रफी के गाये ऐसे गाने जिन्हें किशोर कुमार पर फिल्माया गया।
आज तीस जुलाई है। कल एक बहुत ही ख़ास तारीख़ है जब गायकी की दुनिया का एक बेमिसाल
सितारा हमारी दुनिया से चला गया था और रह गयी थी तो सिर्फ उसकी आवाज़। उस सितारे
को दुनिया मोहम्मद रफ़ी के नाम से जानती है।
मुंबई में आप अगर बांद्रा स्टेशन से बाहर निकलें और वेस्ट में एक चौराहे की तरफ बढ़ें तो वहां एक बोर्ड नज़र आयेगा, मोहम्मद रफी चौक। आने-जाने वाले बदहवास लोगों की नज़र शायद ही कभी उस बोर्ड पर पड़ती हो। दरअसल कामयाबी के बाद रफ़ी वहीं पास में रहा करते थे। बोर्ड भले ही नज़रअंदाज़ हो जाता हो पर रफी की आवाज़ को आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। जीवन के इस बीहड़ सफर में हर झटके पर रफी अपनी आवाज़ की उँगली पकड़कर आपको थाम लेते हैं।
अकसर लोग रफी और किशोर की तुलना करते हैं। पर मोहम्मद रफी और किशोर कुमार मित्र रहे हैं। किशोर तो अपने कंसर्ट्स में रफी के गाने भी गाया करते थे। आज मैं आपको कुछ ऐसे गानों के बारे में बता रहा हूं-जिन्हें किशोर कुमार पर फिल्माया गया, पर इन्हें गाया मोहम्मद रफी ने। सन 1958 में एक फिल्म आई थी ‘रागिनी’, जिसमें अशोक कुमार, किशोर कुमार और पद्मिनी थे। फिल्म के निर्माता अशोक कुमार ही थे। संगीत ओ.पी. नैयर तैयार कर रहे थे। एक गाना ऐसा था, जो शास्त्रीय संगीत पर आधारित था और नैयर ने फैसला किया कि इसे रफी गायेंगे। किशोर कुमार ने दादामुनि से कहा भी कि ऐसा कैसे, हीरो मैं हूं और मैं स्वयं गाता भी हूं। उन्होंने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और इस तरह आया गाना—‘मनमोरा बावरा/ निस दिन गाये गीत मिलन के’। राग तिलंग पर आधारित इस गाने को खोजकर वीडियो पर देखिएगा। किशोर कुमार तानपूरा थामे गा रहे हैं, आवाज़ रफी साहब की है।
लेकिन ये ऐसा इकलौता मौक़ा नहीं था। मो. रफी की आवाज़ का इस्तेमाल किशोर कुमार के लिए अनेक बार हुआ। सन 1959 में एक फिल्म आई थी ‘शरारत’, कहते हैं कि इस फिल्म के लिए किशोर कुमार को साइन नहीं किया गया था, तब रफी की आवाज़ में एक गाना रिकॉर्ड कर लिया गया था—‘अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी/ कभी हंसा दिया, रूलादिया कभी’। इस गाने में किशोर पियानो बजाते नजर आते हैं। इन गानों को देखना बहुत ही अद्भुत अनुभव है, क्योंकि एक पार्श्वगायक दूसरे पार्श्वगायक के लिए गा रहा है।
इसी तरह सन 1972 में भी एक और मौक़ा आया जब मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार के लिए गाना गाया। ये फिल्म थी ‘प्यार दीवाना’ जिसके गाने असद भोपाली ने लिखे थे और संगीत था लाल सत्तार का। संगीत के दीवानों को बता दें कि लाला, असर और सत्तार तीन लोग थे। इस तिकड़ी ने फिल्म ‘संग्राम’ में रफी साहब का शानदार गाना दिया था—मैं तो तेरे हसीन ख्यालों मेें खो गया' बहरहाल इन्हीं संगीतकार ने रफी साहब से गवाया- ‘अपनीआदत है सबको सलाम करना’। इसे भी किशोर कुमार पर फिल्माया गया था। तकनीक के इस ज़माने में इन तीनों गाने के वीडियो आप खोजकर देख सकते हैं ये अद्भुत अनुभव ले सकते हैं। नमन रफी साहब को और किशोर कुमार को भी।
30 जुुुुलाई को लोकमत समाचार में प्रकाशित कॉलम--ज़रा हट के'
4 टिप्पणियां :
बहुत खूब ..... !
माफी चाहूंगा, रफ़ी का गाया 'मोहब्बत जिंदा रहती है मोहब्बत मर नहीं सकती' संग्राम का नहीं बल्कि फिल्म 'चंगेज़ खां' (१९५७) का है और इसके संगीतकार हंसराज बहल हैं...आपके द्वारा दिए गए वीडियो लिंक में भी यही सूचना मौजूद है...
किशोर के लिए रफ़ी ने फिल्म 'भागमभाग' (१९५६) में भी आशा के साथ दोगाना 'हमें कोई ग़म है...हमें कोई डर है' गाया था...संगीत ओ.पी.नैयर का था...
बाघी शहजादा फिल्म में भी रफी ने किशॊर के लिए गाया था ।
Post a Comment