Sunday, October 21, 2012

मुंबई फिल्‍म-समारोह पहला दिन- Captive, California solo और Silver Lining playbook के नाम।

Mumbai Academy of Moving Images (MAMAI) हर साल मुंबई में फिल्‍म-समारोह का आयोजन करती है। ये फिल्‍मों का एक बेहतरीन मेला होता है। हम बिल्‍कुल शुरूआत से इस फिल्‍म-समारोह के सफर में शामिल रहे हैं। खुशी की बात है कि इस साल का फिल्म-समारोह शायद अब तक का सबसे बढिया समारोह बन गया है।  साल 2012 में दुनिया भर के फिल्‍म-समारोहों में चर्चा बटोर चुकी फिल्‍में इस बार की लिस्‍ट में शामिल हैं।

पहला दिन सिनेमैक्‍स वर्सोवा में बीता। मुश्किल ये थी कि निजी कारणों से एन.सी.पी.ए. नहीं जा सकते थे। मुंबई में लंबी दूरियां आधा उत्‍साह ख़त्‍म कर देती हैं। दिन की शुरूआत Brillante Mendoza की फिल्‍म CAPTIVE से हुई। ये फिल्‍म जिस सत्‍य घटना पर आधारित है उसके बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं। ये फिल्‍म इस साल बर्लिन फिल्‍म समारोह में शामिल थी। Captive2011Poster

दरअसल दक्षिणी फिलीपीन्‍स के एक द्वीप रिसोर्ट से बीस लोगों को एक इस्‍लामी आतंकवादी गुट ने 27 मई 2001 को अगवा कर लिया था। फिलीपीन्‍स में इस तरह के आतंकवादी गुट सक्रिय हैं जो पैसों और नेगोसिएशन के लिए विदेशियों को अगवा कर लेते हैं।  डोल-पाल्‍मास रिसोर्ट से अगवा किये गये लोगों को साल भर से भी ज्‍यादा वक्‍त के बाद सात जून 2002 को छुड़वाया जा सका था। निर्देशक ने अगवा हुए लोगों के सच्‍चे अनुभवों को फिल्‍म में शामिल किया है।

बीस विदेशियों को अगवा करके किसी अनजान जगह ले जाया जाता है। ये एक खौफनाक जंगल है। इसके बाद शुरू होता है जुल्‍म और खौफ़ का सिलसिला। बार बार जगह बदली जाती है। युवतियों को हवस का शिकार बनाया जाता है। जंगल के मुश्किल हालात में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो जाती है। बार बार फौज के हमलों में अगवा किये गये कुछ लोगों को गोली लगती है। कुछ की मौत फौज की गोलियों से हो जाती है। जिन देशों की सरकारें फिरौती की रकम अदा कर देती हैं, उनके बंधकों को आज़ाद कर दिया जाता है। बाक़ी लोग साल भर से ज्‍यादा समय तक आतंकवादियों के क़ब्‍ज़े में रहते हें।

फिल्‍म में निर्देशक ब्रिलिएंटे ने दिखाया है कि इतना लंबा वक्‍त साथ में बिताने से किस तरह फिल्‍म की नायिका Thérèse का भी मन बदल जाता है। बारह बरस के एक आतंकवादी किशोर से उसकी दोस्‍ती हो जाती है, जो दो साल से इस गुट के साथ है और मशीन-गन चलाता है। आतंकवादियों और सरकारों के बीच बातचीत बार बार नाकाम होती है। एक चैनल की महिला जंगल में अगवा किये गये लोगों और आतंकवादियों का इंटरव्यू करने पहुंचती है। तब अमेरिका की एक नागरिक का  धीरज टूट जाता है। वो कैमेरे पर कहती है, जब आप यहां पहुंच सकती हैं तो फिर सरकारें क्‍यों नहीं। सरकार की दिलचस्‍पी आतंकवादियों पर गोलियां चलाने में है। हमें छुड़ाने में नहीं। जब आतंकवादी रसद की तलाश में पूरी टोली को लेकर एक स्‍कूल पहुंचते हैं, तो सारे बंधक बच्‍चों के साथ घुल-मिल जाते हैं। उन्‍हें पढ़ाने लगते हैं। इसी तरह जब पूरी टोली अस्‍पताल में पहुंचती है, तो वहां एक तरफ फौज की गोलियों की बौछार हो रही है दूसरी तरफ एक महिला एक बच्‍चे को जन्‍म दे रही है। बड़ा ही खौफनाक दृश्‍य है ये। ट्रेलर यहां देखिए

पहले दिन की दूसरी फिल्‍म थी One for the money. अमेरिकी निर्देशिका Julie Anne Robinson की ये फिल्‍म हॉलीवुड की आम फिल्‍मों की तरह है। हाल ही में तलाकशुदा और बेरोज़गार Stephanie Plum को अपने एक रिश्‍तेदार के यहां बॉन्ड-ऐजेन्‍ट का काम करना पड़ता है। उसका काम है अपराधियों को किसी तरह पुलिस के सामने बॉन्‍ड भरकर समर्पण करने के लिए राज़ी करना। जुर्म की दुनिया से जुड़े इस ख़तरनाक काम में उसे जिम्‍मेदारी दी जाती है एक भगोड़े पुलिस अधिकारी को पकड़वाने की। जो किसी ज़माने में उसका प्रेमी रह चुका है। तमाम मुश्किलों का सामना करने, बार बार नाकाम होने के बाद आखिरकार स्‍टेफनी इस चालाक  भूतपूर्व पुलिस अधिकारी को पकड़वाने में कामयाब हो ही जाती है। निराशाजनक फिल्म। गलत चुनाव।

पहले दिन की तीसरी फिल्‍म थी CALIFORNIA SOLO.  बहुत ही शानदार फिल्‍म। जिसने इस साल दुनिया के कई फिल्‍म-समारोहों में तारीफ बटोरी है। LACHLAN MacALDONICH एक पूर्व ब्रिटिश रॉक-बैंड का सदस्‍य है। उसके भाई की मौत रहस्‍यमय हालात में हो जाती है। उसके बाद वो संगीत की दुनिया से और अपने देश से भाग जाता है। अब वो लॉस-एंजेलिस के पास एक फार्म में काम करता है और वहीं एक कमरे के घर में रहता है। दिन में खेती का काम और रात को वो एक पॉडकास्‍ट करता है। इंटरनेट पर किये जाने वाले अपने रेडियो प्रसारण में वो महान संगीतकारों की दुखद मौत के किस्‍से सुनाता है और उनके लोकप्रिय गीत बजाता है। एक रात शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने के बाद उस पर मुकदमा चलता है और उसे ब्रिटेन वापस भेजे जाने की नौबत आ जाती है। अब उसके अमेरिका में रहने का एक ही रास्‍ता है। और वो ये कि उसकी भूतपूर्व पत्‍नी और बेटी अदालत में ये बात कहने के लिए राज़ी हो जायें कि उसके वापस भेजे जाने से उनका गुज़ारा मुश्किल हो जायेगा। पत्‍नी इस बात के लिए राज़ी नहीं होती। पर इस दौरान वो अपनी बेटी से मिलता है। जिसने उसे केवल तस्‍वीरों में देखा है। मां नहीं चाहती कि बेटी तलाकशुदा पिता से मिले-जुले। ब्रिटेन भेजे जाने से ठीक पहले एक दिन बेटी उसे कहीं मिलने के लिए बुलाती है। बातचीत होती है। लैचलैन अच्‍छे दिनों वाला अपना गिटार बेचकर बेटी को पैसे देता है ताकि वो ब्रिटेन में एक हफ्ते उससे मिलने, उसके साथ रहने आ सके और वो उसे संगीत सिखाये।
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'कैलिफोर्निया सोलो' के निर्देशक Marshall Lewy ने कहा भी है कि ये रोल उन्‍होंने खासतौर पर अभिनेता Robert Carlyle के लिए लिखा था, क्‍योंकि वो उनके दीवाने रहे हैं। रॉबर्ट ने इस भूमिका में जान डाल दी है। 'कैलिफोर्निया सोलो' में T. Griffin शानदार संगीत दिया है। गिटार की धुनें मानो फिल्म का एक किरदार बन जाती है। ट्रेलर यहां देखिए।

पहले दिन की आखिरी फिल्‍म थी David O. Russell की फिल्‍म Silver lining playbook. ये फिल्‍म Mathew quick के उपन्‍यास पर आधारित है। जिसमें Bradley cooper, Jennifer lawrence, robert d nero, chris tucker और अनुपम खेर जैसे सितारे हैं। पैट एक टीचर था, अपनी शादी के टूटने के बाद उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया और उसे एक असाइलम में कुछ दिन बिताने पड़े। आठ महीने बाद मां उसे घर ले आती हैं। अब वो हर बुरी स्थिति में silver line ढूंढने की कोशिश करता है। लेकिन घर लौटते ही दो बार वो अपना आपा खो बैठता है। एक बार क्‍लीनिक में अपना वेडिंग-सॉन्‍ग सुनकर। और एक बार घर पर आधी रात को अर्नेस्‍ट हेमिंग्‍वे की पुस्‍तक पढ़ते हुए उससे असहमत होकर। पिता को लगता है कि बेटे की दिमाग़ी हालत ठीक नहीं है और उसे असाइलम में ही रहना चाहिए।

इस बीच पैट की मुलाकात टिफिनी से होती है। अपने पति की मौत के बाद वो भी डिप्रेशन की MV5BMTM2MTI5NzA3MF5BMl5BanBnXkFtZTcwODExNTc0OA@@._V1._SY317_शिकार है। और लगभग पैट की तरह असंतुलित है। पैट चाहता है कि टिफिनी उसकी पत्‍नी निक्‍की को उसका ख़त पहुंचाये ताकि इस रिश्‍ते को दोबारा हरा किया जा सके। बदले में टिफिनी चाहती है कि पैट उसके साथ एक डांस कॉम्‍पटीशन में हिस्‍सा ले और इसके लिए उसके गैराज-स्‍टूडियो में जमकर रिहर्सल करे। पैट के पिता पैट सीनियर की नौकरी जा चुकी है और अब वो स्‍पोर्ट्स में दांव लगाकर अपना घर चलाते हैं। यहां तक कि वो पैट और टिफिनी के डांस कॉम्‍पटीशन पर भी एक बड़ी रकम दांव पर लगा लेते हैं। बहुत नाटकीय घटनाक्रम के बाद पैट और टिफिनी कॉम्‍पटीशन में उतने ही नंबर हासिल करते हैं जितने में उसके पिता दांव जीत सकें। आखिरकार दोनों डिप्रेस्‍ड किरदारों की जिंदगी में फिर से सिल्‍वर-लाइन नज़र आने लगती है।

'सिल्‍वर-लाइन प्लेबुक'  एक इन्‍टेन्‍स फिल्‍म है। सबसे बड़ी बात ये है कि फिल्‍म आधुनिक जीवन के दबावों और बिखरते रिश्‍तों के बीच अपने आप को संभाल पाने में नाकाम रहे किरदारों की बात करती है। फिल्‍म दिखाती है कि किस तरह दबाव भरे हालात फिल्‍म के मुख्‍य किरदारों को पूरी तरह तोड़ डालते हैं। ट्रेलर यहां देखिए।

मुंबई फिल्‍म समारोह के दूसरे दिन जिन फिल्‍मों का बेसब्री से इंतज़ार है वो  From tuesday to tuesday’….नामी ईरानी निर्देशक अब्बास किरोस‍तोमी की जापानी फिल्‍म ”Like someone in love” और फ्रांस के बहुत बड़े फिल्‍मकार Jacques Audiard की फिल्‍म 'Rust and bone'. इनके बारे में कल बात करेंगे।

5 टिप्‍पणियां :

रवि रतलामी said...

एक दिन में आपने ये तीन चार फिल्में देख डालीं? यदि हाँ, तो मैं कहूंगा - हे! भगवान.

Yunus Khan said...

चार तो कम हैं रवि जी। हम तो पांच देखते हैं अमूमन।

Sanjeet Tripathi said...

गज़ब क्षमता है आपकी। वैसे लकी हैं आप जो इतनी अच्छी फिल्में वो भी एक ही दिन में देख लिए।

PD said...

CALIFORNIA SOLO और One for the money देखी है. वाकई अच्छी है.
अगर मौका मिले तो Turtles can fly, Half Moon और Run Lola Run भी देखिये. पहली दोनों मूवी इरानी है, और तीसरी जर्मन.

Rekha said...

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