सिलसिला गुलज़ार कैलेन्डर का। तीसरा भाग: अब हमारी आंख में रोशनी कम है
गुलज़ार जिस तरह अपने शब्दों को बरतते हैं, जिस किफायत से उन्हें ख़र्च करते हैं, वो वाक़ई कमाल है। बहुत बरस पहले मैंने ये नज्म पढ़ी थी--तो यूं लगा था कि बेहद किफ़ायतशारी बरती गयी है इसमें, तभी तो इत्ती ज़रा-सी नज़्म में कित्ती बड़ी बात समेट दी है उन्होंने। नज़्म उलझी हुई है सीने में बस तेरा नाम ही मुकम्मल है
मिसरे अटके हुए हैं होठों पर
उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह
लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं
कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम
सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी
गुलज़ार की दुनिया में कुछ नज़्में डायरी से फिल्मों तक आज़ादी से चली आई हैं। जैसे ये नज़्म फिल्मी गीत बन गई तो इसकी ख़ूबसूरती और निखर आई है।
एक ही ख्वाब कई बार देखा है मैंने
तूने साड़ी में उड़स ली हैं मेरी चाभियां घर की
और चली आई है बस यूं ही मेरा हाथ पकड़ कर
एक ही ख्वाब कई बार देखा है मैंने ।
मेज़ पर फूल सजाते हुए देखा है कई बार
और बिस्तर से कई बार जगाया है तुझको
चलते-फिरते तेरे क़दमों की वो आहट भी सुनी है
एक ही ख्वाब कई बार देखा है मैंने ।
क्यों । चिट्ठी है या कविता ।
अभी तक तो कविता है । ( सुलक्षणा पंडित का नाज़ुक आलाप )
गुनगुनाती हुई निकली है नहाके जब भी
और, अपने भीगे हुए बालों से टपकता पानी
मेरे चेहरे पे छिटक देती है तू टीकू की बच्ची
एक ही ख्वाब कई बार देखा है मैंने ।
ताश के पत्तों पे लड़ती है कभी-कभी खेल में मुझसे
और लड़ती है ऐसे कि बस खेल रही है मुझसे
और आग़ोश में नन्हे को लिए
will you shut up?
और जानती है टीकू, जब तुम्हारा ये ख्वाब देखा था ।
अपने बिस्तर पे मैं उस वक्त पड़ा जाग रहा था ।।
आईये फिर से गुलज़ार कैलेन्डर की तरफ लौटते हैं। जैसा कि मैंने बताया कि इस कैलेन्डर में उन चीज़ों का जिक्र है जो जिंदगी से लगभग बेदख़ल हो चुकी हैं। इन पुरानी चीज़ों पर गुलज़ार ने अपनी पंक्तियां कहीं हैं।
मार्च के सफ़े पर एक आईना नज़र आता है। बक्सेनुमा-सिंगारदान पर लगा एक आईना।
इस आईने के रंग धुंधले पड़ चुके हैं।
यहां गुलज़ार लिखते हैं--
कुछ नज़र आता नहीं
इस बात का ग़म है
अब हमारी आंख में
रोशनी कम है
अप्रैल के सफ़े पर एक पुरानी अलार्म घड़ी है।
बचपन वाली वो घड़ी, जिससे एक अजीब चिढ़ हुआ करती थी।
यहां गुलज़ार लिखते हैं--
कोई आया ही नहीं
कितना बुलाया हमने
उम्र भर एक ज़माने को
जगाया हमने।
जारी रहेगा गुलज़ार कैलेन्डर का सिलसिला।
4 टिप्पणियां :
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!
नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...
कृपया ग्राम चौपाल में आज पढ़े ------
"चम्पेश्वर महादेव तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य स्थल चंपारण"
इस कलैन्डर को क्रमिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद भाई.
बहुत सुंदर कोमल नज्में । आनंद आया पढ कर ।
गुलज़ार की नज्मों की बात ही निराली है ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति .....
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