अजमेर यात्रा की तस्वीरें: पहला भाग ।।
इस हफ्ते हम अचानक बेहद अप्रत्याशित ढंग से अजमेर चले गए । हुआ यूं कि सब चीज़ें सही होती चली गईं और आने-जाने की सारी 'जुगाड़' इतनी आसानी से हो गई कि हमें लगा--ऐसा था तो पहले ही चले जाते । ख़ैर । अप्रत्याशित यात्रा की हड़बड़ी के तहत हम पहले से तैयार 'डिजी-कैम' घर पर ही छोड़ गए । ज़ाहिर है कि अपने 'मोबाइल-कैमेरे' की सेवाएं लेनी पड़ीं, जो ऐसे हर मौक़े पर बेहद मुस्तैदी से अपनी सीमाओं के बावजूद हमारा साथ निभाता
है । तो पेश हैं अजमेर-यात्रा की तस्वीरें ।
हां बस ये ज़रूर कहना चाहते हैं कि दरग़ाह के ठीक बाहर कुछ 'म्यूजिक स्टोरों' की ख़ाक छानी, एक बंदे से पूछा ख़ूब पुरानी क़व्वालियां होंगी । उसका जवाब सुनिए--'हमारे यहां तो नुसरत फतेह से शुरू होती हैं क़व्वालियां ।' उल्टे पांव भाग खड़े हुए वहां से । लेकिन कुछ दुकानदारों ने 'सहयोग' किया । और जो संग्रह जमा हुआ है वो दिलचस्प है । ज़रा नामों पर ग़ौर कीजिए--
पाकिस्तान के छत्तीस बड़े क़व्वालों की 171 क़व्वालियों की एम.पी.3, जिसमें कुछ नाम हैं---साबरी ब्रदर्स, नुसरत फतेह, मोईन नियाज़ी, ग़ौस मोहम्मद नासिर, मंज़ूर वारसी वग़ैरह ।
हबीब पेन्टर, इस्माईल आज़ाद, यूसुफ़ आज़ाद, मजीद शोला, शंकर शंभू, असलम साबरी, जानी बाबू, वग़ैरह ।
हालांकि क़व्वालियों से अपना परिचय इतना ज़्यादा नहीं रहा है । पर ये एम.पी.-3 इस्लामी, इश्कि़या और मुक़ाबले वाली क़व्वालियों को 'सुनने' के मक़सद से तो ख़रीदे ही गए हैं । लेकिन मुख्य-मक़सद है 'रेडियोवाणी' पर क़व्वालियां सुनवाने के लगातार 'इसरार' को थोड़ा-बहुत पूरा करना । तो क़व्वालियां सुनने का इंतज़ार कीजिए । फिलहाल ये तस्वीरें देखिए । हो सकता है कि धीमे कनेक्शनों में तस्वीरें लोड होने में समय लगे । पोस्ट को भारी-भरकम होने से बचाने के लिए इसे दो भागों में पेश किया जा रहा है ।
दरगाह का मुख्य-द्वार ।
सुबह फलों की शाम फूलों की
क्या इन फूलों का कोई मज़हब होता है ।
अब इसकी भी हिदायत देनी पड़ती है ।
ख्वाजा मेरे ख्वाजा दिल में समा जा
इस बच्ची की वीतरागी नज़रों से देखिए प्रवेश द्वार का नज़ारा ।
मुरादों के धागे ।
मुरादें ही मुरादें ।
भर दे झोली
मुरादें पूरी कीजिए, हम फिर आयेंगे
मोरपंख से झड़वाओ, दस रूपये थमाओ
ख्वाजा का काजल
ख्वाजा की चिराग़ी
अकीदत की तिजारत
बरामदे में क़व्वालियां
और क़व्वालियां ।
18 टिप्पणियां :
अजमेर के दर्शन कराने का शुक्रिया!
कव्वालियों का इन्तजार रहेगा।
नुसरत का नाम सुनते ही भाग खड़े हुये.. ऐसा कह कर हमारा दिल मत तोड़िये.. बहुत बड़े मुरीद हैं हम उनके.. :)
वैसे फोटो बहुत बढ़िया आयी है..
कभी अजमेर जाना नहीं हुआ, हमें भी विख्यात दरगाह के दर्शन हो गए.
ख्वाजा का संक्षिप्त परिचय साथ में होना चाहिए था.
धन्यवाद यूनुस भाई, इस दर्शन से हम धन्य हुए… तस्वीरें मोबाइल से होने के बावजूद स्पष्ट हैं और टाइटल तो और भी जोरदार, अगली पोस्ट में दरगाह के इतिहास और उसकी खासियतों के बारे में पाठकों को बतायें…
yunus bhai mera rishta ajmer se kai varshon se raha hai, kai dafa dargah sharif bhi jana hua aur param shraddha us sthan ke liye mann mein hai... idhar bahut samay se ajmer jaana nahi hua aapke dwara liye gaye chitron se wahan ki yaadein fir ek baar taza ho gayi bahot dhanyawaad.
काफी समय बाद अजमेर शरीफ के चित्र देखे। पांच साल पहले तो दो चार महीने में एक बार दर्शन कर ही आते थे।
अच्छी लगी पोस्ट!
बहुत बढ़िया तस्वीरें । दिखाने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
आपकी लेखनी के कायल तो पहले से ही हैं, आपकी 'कैमरा कलाकारी' ने भी कायल कर दिया । दो बार इस दरगाह की यात्रा कर चुका हूं । तब जिस बात पर दुख हुआ था, वह आपके इन चित्रों ने फिर उभार दिया - वसूली के गोरख धन्धे यहां भी वैसे ही चलते हैं जैसे सनातनियों के तीर्थ स्थानों में ।
सुरेश भाई और संजय जी । अगली पोस्ट में ज़रूर पूरी पृष्ठभूमि बताऊंगा । मुझे लगा था कि पोस्ट नाहक की लंबी हो जायेगी । पर अब लग रहा है कि वाकई ये ज़रूरी है ।
प्रशांत, हमें नुसरत से परहेज़ नहीं है भाई । लेकिन हम अजमेर में उम्मीद कर रहे थे कि क़व्वालियों का वो ख़ज़ाना मिलेगा जो कहीं और नहीं मिलता ।
अप्रत्याशित ढंग से अजमेर चले गए ...unka bulavaa thaa..isliye..varna pahunchkar bhi darshan naseeb nahi hotey..:)
दर्शन करवाने का शुक्रिया।
waah..behtareen rahi ye chitratmak yatra :)
जनाब कोई यूँ ही नहीं अजमेर पहुँचता....ख्वाजा ख़ुद बुलाते हैं....बहुत बेहतरीन तस्वीरें पेश की हैं आपने...काश में जयपुर होता तो आप से भेंट हो जाती...चलिए फ़िर कभी सही...
नीरज
शुक्रिया साहिब!
कव्वालियों के तो हम भी रसिया हैं और अगर मुकाबले वाली कव्वालियां हो तो क्या बात है, बड़ी बेसब्री से इंतजार रहेगा आप के खजाने को सुनने का। तस्वीरें बहुत उम्दा हैं खास कर गुलाब के फ़ूल तो बहुत ही सुंदर लग रहे हैं
मुरादें पूरी कीजिए, हम फिर आयेंगे
इंशाल्लाह आपकी सारी मुरादें पूरी हो और आप हर साल ख्वाजा के दरबार में हाजिरी दें।
आमीन।
मैने कई बार दरगाह में ख्वाजा के दर्शन किए हैं पर तस्वीरें देखकर एक बार पुरानी यादें ताजा हो गई, धन्यवाद यूनुस भाई
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