मल्टीप्लेक्स: कुछ दिलचस्प शब्द चित्र ।
शनिवार को मुंबई के एक मल्टीप्लेक्स में एक ताज़ा फिल्म देखी । बातें तो फिल्म की करनी थीं । लेकिन सिनेमाहॉल में कुछ दिलचस्प घटनाओं पर नज़र पड़ी । प्रस्तुत हैं सिनेमाहॉल के कुछ दृश्यों के शब्द-चित्र :
1. फिल्म शुरू होने में पंद्रह मिनिट बाक़ी हैं । मल्टीप्लेक्स के मुख्य-द्वार पर सिक्युरिटी ने एक बंदे को रोक रखा है । बहस जारी है । बंदे का कहना है कि ये बिस्किट और सॉफ्ट-ड्रिंक ही तो है । सिक्यूरिटी का कहना है कि बिस्किट not allowed है । मल्टीप्लेक्स में जो खाना-पीना है भीतर ही खाना-पीना है । आप चाहें तो बाहर रखिए । लौटते में लेकर जाईये । बंदा मानने को तैयार नहीं है । बहस जारी है ।
2. हॉल के भीतर । अटेन्डेन्ट सभी को उनकी सीटें बता रहे हैं ।
निवेदन- excuse me....शायद आप मेरी सीट पर हैं ।
जवाब--नहीं नहीं ये तो हमारी ही सीट है । F-5 ही तो है ।
निवेदन-ओहो F-5 नहीं है, F-7 है । आप दो सीट आगे आ गये हैं ।
जवाब- ओह सॉरी, आईये आप बैठिये ।
निवेदन खीझ में बदल जाता है--ओफ्फो these old men...so irritating.....!!!!
3.हॉल के भीतर । अगला दृश्य लड़का: 'तुमसे कहा था ना कॉर्नर सीट लो, पर तुम हो कि....'
लड़की-'खुद देखना था नेट पे...पता भी है कितनी कम सीट बाकी थीं । एक तो पहले से डिसाइड नहीं करोगे और फिर..'
लड़का- 'तुम तो बस इल्जाम लगाओगे, मजबूरियां नहीं समझोगी, मैं ऑफिस में कोई घास नहीं छील रहा था'
लड़की- 'अब बस भी करो मूड खराब मत करो'
लड़का- 'ओह डार्लिंग dont you know, how much I love you' ।
लड़की-ओहो क्या कर रहे हो, बगल वाले अंकल देख रहे हैं ।
4. हॉल के भीतर । फिल्म शुरू होने में दो मिनिट बाक़ी हैं ।
बच्चा: मम्मी, पॉपकॉर्न चाहिए मुझे ।
मम्मी: ओहो इंटरवल में खाएंगे बच्चे ।
बच्चा: मम्मी देखो साइड में बैठा वो लड़का, उस लड़की को kiss कर रहा है ।
मम्मी: छी बेटे यहां वहां मत देखो सीधे बैठो । वरना अभी घर ले चलूंगी । these people na...they are so desperate.....
5. फिल्म शुरू होने से ठीक पहले । राष्ट्रगान का बजना शुरू । जन गण मन.......
लड़की- 'खड़े हो ना । national anthem है । सब खड़े हैं । मुझे emberess मत करवाओ ।
लड़का- ओहो dont you know..how tired I am....I respect national anthem....but i cant stand.
लड़की- तुम खड़े होते हो या नहीं.....वरना मैं ये चली ।
लड़का- ओहो लो खड़ा हो गया ।
...................जय जय जय जय हे ।।
इसके बाद फिल्म शुरू होती है । बाकी शब्दचित्र फिर कभी ।
5 टिप्पणियां :
बेहद दिलचस्प. मैं तो कभी मल्टीप्लेक्स गया ही नहीं. सिर्फ घर पर डीव्हीडी देखता रहा. आज पता चला कि सामने से ज्यादा साथ चल रही फिल्म में ज्यादा मजा आता है.
सच में लगा जैसे मल्टीप्लैक्स में पहुँच गये हैं. ये नम्बर ३ चित्र में बाजू वाले अंकल आप ही तो नहीं?? वरना सुन कैसे पाते. :)
पता नहीं क्यों, पर मुझे मल्टीप्लेक्स कभी अच्छा नहीं लगा.. वो बड़ा सा सिनेमा हाल जहाँ ७००-८०० लोग एक साथ बैठ कर सिनेमा का आनंद उठाते हैं उसका अलग ही मजा है..
हाँ मल्टीप्लेक्स अच्छा इस मायने में मुझे लगता है की आप इसका टिकट इंटरनेट से ले सकते हैं.. :)
ये मल्टीप्लेक्स तो हम बहुत जाते हैं, और ये नम्बर ३ और ४ वाली बात सुनी भी बहुत है पर कभी देखने को मिली नहीं, दिल्ली में एक बार कुछ ऐसा दीखा था, पुणे में कभी ऐसा नहीं हुआ... या फिर ये भी हो सकता है कि देखने के लिए नज़र होनी चाहिए... मान गए हम तो आपकी नज़र को.. :-)
समीर जी की बात में दम हैं आप ने पिक्चर कौन सी देखी उसके बारे में तो कुछ बताया नहीं मतलब पिक्चर के पहले के ट्रेलर देख सुन कर ही बाहर निकल लिए क्या
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