Saturday, February 23, 2008

जैसलमेर यात्रा: तीसरा भाग-- सीमा-प्रहरियों के विश्‍वास का केंद्र--तन्‍नोट

जैसा कि आप जानते हैं कि तरंग पर इन दिनों फ़रवरी के प्रथम सप्‍ताह में हुई मेरी जैसलमेर यात्रा की कहानी चल रही है । पिछली पोस्‍ट में मैंने आपको बताया कि किस तरह से हमने सीमा सुरक्षा बल की रामगढ़ चौकी पर स्‍थल रिकॉर्डिंग की और साथ में एक संगीत-संध्‍या भी आयोजित की ।

....दुश्‍मन जो देखे बुरी नज़र से आंखें निकाल लाएंगे.....तिरंगा प्‍यारा देश का हर जगह फहराएंगे ।।

अगला दिन काफी रोमांचक था । सोचा ये गया था कि इस दिन हमारी दो टीमों भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर बनी सीमा सुरक्षा बल की पोस्‍टों पर जाकर वहां तैनात प्रहरियों से बातें करेंगी । सो सुबह-सवेरे नाश्‍ता करके हम सीमा सुरक्षा बल की टोली के साथ निकल पड़े । सबसे पहले रास्‍ते में हमारी गाडियां रूकीं इंदिरा गांधी नहर पर जाकर । सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने हमें बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना ने राजस्‍थान के बंजर में फूल खिला दिये हैं । हरियाली की पूरी पट्टी तैयार हो गयी है इस नहर परियोजना के आसपास । भारत का शायद दूसरा सबसे बड़ा जिला है जैसलमेर । और इंदिरा गांधी नहर परियोजना जैसलमेर में काफी बदलाव ला रही है । HappyIMG_1087

यहां से आगे बढ़ने पर रणऊ नामक एक गांव से ठीक पहले एक पेड़ आया । हमें बताया गया कि जिस किसी को भी मोबाइल पर अपने ज़रूरी कॉल करने हों, फौरन कर लिये जाएं । क्‍योंकि यहां से आगे दिन भर नेटवर्क नहीं मिलने वाला है । हम पाकिस्‍तान की सीमा के क़रीब पहुंचने वाले हैं । 

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रणऊ में ही एक स्‍थान पर फौजियों के पानी का टैंकर गांव में पानी पहुंचा रहा था । विविध भारती की टोली की महिलाओं को जो शरारत सूझी वो आपके सामने है ।

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इन्‍हें पहचानिए । सबसे बांई ओर हमारी शरीके-हयात और विविध भारती की उद्घोषिका रेडियोसखी ममता सिंह, फिर शकुंतला पंडित और सबसे दाहिनी तरफ कमलेश पाठक ।

यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर माता का एक मंदिर नज़र आया, जिसे बी.एस.एफ. के लोग ही संभालते हैं । इस तस्‍वीर में देखिए-मंदिर की दीवार पर ये पंक्तियां लिखीं हैं-

दुश्‍मन जो देखे बुरी नज़र से आंखें निकाल लाएंगे

तिरंगा प्‍यारा देश का हर जगह फहराएंगे ।।

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यहां से हमें भारत पाकिस्‍तान की सीमा पर बनी पोस्‍टों पर जाना था । जिसके बारे में ज्‍यादा कुछ नहीं बताया जा सकता । अगली पोस्‍ट में उस अनुभव की चर्चा 'इशारों' इशारों में की जाएगी । फिलहाल तन्‍नोट की गौरवा गाथा सुनिए, तन्‍नोट इस इलाक़े की ऐसी जगह है जहां सिविलियनों को जाने की इजाज़त है । दरअसल यहां देवी का एक विख्‍यात मंदिर है । 

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फौजियों का कहना है कि सन 1965 की लड़ाई में यहां एक ज़बर्दस्‍त चमत्‍कार हुआ था । इसे फौजी देवी दुर्गा का चमत्‍कार मानते हैं । तन्‍नोट की इसी जगह पर पाकिस्‍तानी फौजियों की विशाल टोली ने तीन ओर से भारतीय सिपाहियों को घेर लिया था । जैसलमेर शहर यहां से तकरीबन एक सौ तीस किलोमीटर दूर था । मदद पहुंचने में तीन दिन लगने वाले थे । भारतीय फौजियों ने इस मंदिर में डेरा डाल रखा था । दिलचस्‍प बात ये है कि पाकिस्‍तानियों ने तकरीबन तीन हज़ार गोलियों और मोर्टार की बारिश कर दी तन्‍नोट के इस मंदिर पर । लेकिन इनमें से एक भी कोई नुकसान नहीं कर पाई । हां केवल एक गोली ऐसी थी जिसने एक ऊंट को धराशाई कर दिया था । फौजी मानते हैं कि ये सब तन्‍नोट राय देवी की कृपा थी । कैसे गोलियों और मोर्टार की इस बारिश का कोई असर नहीं हुआ--इस सवाल के आगे वैज्ञानिक-तर्क भी ख़ामोश नज़र आते हैं । आप सोचेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है । देखिए इस तस्‍वीर में, तन्‍नोट के मंदिर में उस गोला-बारूद को सजाकर रखा गया है । यहां 1965 की जंग में शामिल फौजियों की तस्‍वीरें भी लगी हुई हैं । 

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जीवन में पहली बार मैंने ऐसा मंदिर देखा जिसे सीमा सुरक्षा बल के लोग ही संभालते हैं । भारत-पाक सीमा पर जाने से पहले जल्‍दी में मोबाईल कैमेरे से खींची गयी इस तस्‍वीर को देखिए, तस्‍वीर की क्‍वालिटी भले ठीक ना हो लेकिन यहां आप देखेंगे कि वर्दी में फौजी हारमोनियम पर संभाले भजन गा रहे हैं । मंदिर का पुजारी भी बी.एस.एफ. के स्‍टाफ़ में से ही है ।

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यहां फौजियों का तांता लगा रहता है । राजस्‍थान के इस मुश्किल हिस्‍से में तैनात फौजी तन्‍नोट में माता के इस मंदिर को बहुत मानते हैं । उनका कहना है कि माता के रहते उनका बाल भी बांका नहीं हो सकता । यहां वो और उनकी टोली सुरक्षित है । यहां की एक ख़ासियत है जनता के बीच प्रचलित एक मान्‍यता । कहते हैं कि तन्‍नोट माता के दरबार में अपनी मन्‍नत मांगते हुए एक रूमाल बांध देना चाहिए । आपकी इच्‍छा ज़रूर पूरी होती है । देखिए लोगों ने किस तरह रूमालों का अंबार लगा रखा है ।

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इस मंदिर के ठीक सामने तन्‍नोट विजय स्‍मारक भी है । सीमा सुरक्षा बल और सेना के लिए इसका अपना महत्‍त्‍व है । ये रहीं तन्‍नोट विजय स्‍मारक की तस्‍वीरें ।   

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अगली पोस्‍ट में पढि़ये भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर फौजियों से हुई बातचीत के दिलचस्‍प अनुभव । और उसके बाद होगी लोंगेवाल-बॉर्डर-पोस्‍ट की शौर्य-गाथा ।

पिछली पोस्‍ट पर विकास का कहना था कि यात्रा-विवरण की पोस्‍टें लंबी हो रही हैं, ज़रा छोटी कीजिए । दिक्‍कत ये है कि एक बार में अगर एक अध्‍याय निपटाना है और वो भी तस्‍वीरों के साथ, तो इतनी लंबाई तो हो ही जाएगी । इस बारे में आपका क्‍या कहना है ।

20 टिप्‍पणियां :

अनूप शुक्ल said...

अच्छी घुमक्कड़ी है। शरारतें भी मजेदार हैं। पोस्ट लंबी हैं लेकिन यात्रा विवरण पठनीय हैं सो इसी तरह लिखिये न जी!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप लिखते रहिये युनूस भाई -
- यात्रा के साथ चित्र देखकर ऐसा लग रहा है मानो हम भी घूम आए .
.हाँ, फौजी भाइयों के साथ किया प्रोग्राम अवश्य सुनाइयेगा -
- ममता जी और अन्य सहेलियों की
"अदा " देख,
मुस्कुरा रहे हैं :)

लावण्या --

Udan Tashtari said...

चलिये, इसी बहाने आपकी शरीके हयात के दर्शन भी उपलब्ध हुए. माजेदार एवं रोचक सचित्र यात्रा विवरण है, मजा आया. जारी रहें.

Ashish Maharishi said...

यूनूस भाई, हमें को डिटेल में पढ़ना है, छोटे में पढ़कर काम नहीं चलने वाला और हां एक बात और ममता जी से मिलवाने के लिए शुक्रिया, स्‍कूल के दिनों से सुन रहा हूं उनको

विखंडन said...

Bhaut hi accha laga , hamaari bhi purani yadey taza ho gayi. jo pehla mandir aap ney dikhaya hai vahan theek uskey bayan haath par ek ret ka bahut uuncha pahad hai. agar koi us par chadney ki himmat kar sakey to vahan door door talak sirf ret hi ret dikhta hai jaisey manu ret ka samundar ho aur goa ka lehroon vala samundra yaad ajaa ta hai. agli post ka intazar hai kyonki civilians ko tanoot rai key mandir sey aagey jaaney ki ijazat nahin hi. haan tanoot mata key mandir mey ik kaley rang ka bahut hi mota taza bakra bhi raheta hai aur khasiyt yah ki vo meetha prasad bahut chav sey khata hai.

annapurna said...

क्षमा कीजिए यूनुस जी पिछली पोस्टें मैं देश नहीं पाई। आज ही देख रही हूं।

आंखों देखा हाल अच्छा लिखा आपने।

सखियों-सहेलियों को देख कर गीत याद आ गया -

पाँवों में घुँघरू बाँध के अब पनियों भरन को जाई रे
पीतल की मेरी गागरी

पारुल "पुखराज" said...

YUNUS JI
bahut badhiyaa aaj ki yaatraa bhi...ek aisa mandir gangtok me bhi hai HANUMAANTOK jahan pujaari bhi fauji aur poorey mandir ke kartaa dhartaa bhi fauji bhayi hi hotey hain.... aap likhtey rahey,hum to badii lagan se sun rahey hain march me rajasthaan jaanaa jo hai...tips ikaathha kar rahey hain .....

Yunus Khan said...

विखंडन जी आपकी टिप्‍पणी अच्‍छी लगी । आपने जिस काले बकरे का जिक्र किया है, वो ममता जी के पीछे पीछे घूम रहा था अगली पोस्‍ट में उसकी तस्‍वीर लगाई जाएगी । आप उस इलाक़े में जा चुके हैं । अपने बारे में बताईये ना ।

डॉ. अजीत कुमार said...
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डॉ. अजीत कुमार said...
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डॉ. अजीत कुमार said...

यूनुस भाई,
अपनी यात्रा के उन बिल्कुल न भूलने वाले लम्हात से आप हमें बराबर रूबरू करा रहे हैं, हम इतने से ही खुश है. पिछली दोनों कड़ियाँ और उनसे आगे कदमताल मिलाती ये आज की कड़ी.... ऐसा लग रहा है कि अगर हम उन अनछुए स्थलों पर न भी जा सके तो कोई गम नहीं.
तन्नोट की देवी माँ के बारे में जानकारी अत्यन्त अच्छी लगी. माँ को साष्टांग प्रणाम.
तस्वीरें काफी अच्छी हैं.
विखंडन जी ने भी उस मन्दिर को नजदीक से देखा है, उनकी जानकारी भी हमें अच्छी लगी. उन्हें भी शुक्रिया.
रही बात पोस्ट छोटी करने की, तो हर ब्लॉग पोस्ट छोटी नहीं हो सकती. खास कर यदि वह एक लम्बी यात्रा वृत्तांत हो. विवरण और चित्र तो पोस्ट को बड़ा कर ही देंगे.
धन्यवाद.

ganand said...

Yunusji bahut hin rochak yatranama aap likh rahe hain aur ham sabhi Vividh Bharati ke shrota bade chav se iska rasaswadan kar rahe hain. Aap to bas aise hin likhte rahiye.......
aur Vikhandan ji ne bhi achchhi jankari di hai unko bhi dhanyawad.

ek choti si bhool hai is post mein Jaisalmer Bharat ka sabse bada jila nahi hai balki Leh hai. Jaisalmer ka chetrafal 38,428 sq. km hai jabki Leh ka 45,110 sq. km.
jyada jankari ke liye yahan dekhen

Yunus Khan said...

गुणेश्‍वर बहुत बहुत शुक्रिया जानकारी को सही करने के लिए । मूल आलेख में परिवर्तन कर दिया है ।
मुझे जैसलमेर वासियों और गाईडों ने ये बात बताई थी, जिसे काउंटर चेक कर लेना चाहिए था ।

mamta said...

आपके साथ-साथ हम भी घूम लिए जैसलमेर।
तस्वीरे बहुत सुंदर आई है।

सागर नाहर said...
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Unknown said...

न केवल आपका लिखा यात्रा वर्णन रोचक है यूनुस, आपकी ली हुई तस्वीरें भी एक कहानी सी कहती हैं।
मंदिर की तस्वीर और रुमालों वाली images , ध्यान आकर्षित करतीं हैं और आपकी शरीके हयात वाली फ़ोटो एक मुस्कान चेहरे पर ले आती है।

ganand said...

Dhanyawaad yunusji,
haan Jaisalmer Bharat ka dusra sabse bada jila hai. Aur sayad aaplogon ko jan kar aascharya hoga ki pure Jaisalmer aur Barmer mein matra ek parliament constituency hai,Par fir bhi ye Bharat ka dusra sabse bada Parliament constituency(kshetrafal ke hisab se) hai.
Sabse bada parliament constituency ladakh hai. par dukh ki baat ye hai ki
Jaisalmer ke offcial portal par iske bare mein galat janakri likhi gayi hai, wahan Barmer ko Bharat ka sabse bada parliament constituency bataya gaya hai jo ki galat hai...
aur bhi aise kuch rochak aakadon ke liye
yahan dekhen.

सागर नाहर said...

रामदेवरा के बाद सीमा का यात्रा वृतांत पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है। पोस्ट ज्यादा बड़ी तो नहींलगी। फोटो की वजह से शायद लम्बाई ज्यादा लगती है, और दूसरी बात यह की आपके साईडबार बहुत ज्यादा चौड़े हैं, पोस्ट के कॉलम की तुलना में इससे भी पोस्ट ज्यादा लम्बी लगती है।

पिछली टिप्पणी में नहीं शब्द गलती से टाईप नहीं हुआ और अर्थ का अनर्थ हो गया

अजित वडनेरकर said...

बहुत अच्छा यात्रा वर्णन चल रहा है। अपनी जोधपुर पोस्टिंग के दौरान हम भी इन स्थानों पर घूम आए है। राजस्थान अद्भुत रंगीला सूबा है। धोरों का संगीत जबर्दस्त है । पग-पग पर गाथाएं बिखरी हैं। उल्लास की उमंग है तो रेत में दबी सिसकियां भी सुनाई पड़ती हैं।

admin said...

बहुत जबरदस्त यात्रा-वृत्तान्त है। साथ में लिये गये चित्र भी उतने ही जबरदस्त। बहुत-बहुत बधाई।

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